परिचय
प्रवासन एवं डायस्पोरा अध्ययन विभाग का गठन अंतर-अनुशासनिक शोध एवं शैक्षणिक गतिविधियाँ संचालित करने के लिए किया गया है। इस विभाग में सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी अनुशासनों यथा: समाजशास्त्र, मानवशास्त्र, राजनीति विज्ञान, साहित्य एवं सांस्कृतिक अध्ययन आदि के संधि-क्षेत्र में डायस्पोरा से जुड़े विभिन्न मुद्दों का अनुशीलन किया जा रहा है। विश्व संस्कृति में भारतीय डायस्पोरा एक महत्वपूर्ण और कुछ संदर्भों में विशिष्ट स्थान निर्मित कर रहा है। वर्तमान भारतीय डायस्पोरा का उद्भव अंग्रेजों द्वारा भारत में राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने तथा उसे औपनिवेशिक शासन प्रणाली के हिस्से के रूप में अंगीकार करने से मुख्यतः जुड़ा है। 19वीं शताब्दी में अनुबंधित श्रमिकों के रूप में बड़े पैमाने पर भारतीयों को सुदूरवर्ती औपनिवेशिक बागान क्षेत्रों में ले जाया गया। इन्हीं परिस्थितियों में मॉरीशस, त्रिनिदाद, सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका, फिजी, श्रीलंका, गयाना, मलेशिया एवं अन्य देशों में बसे भारतीय मूलके लोगों ने विविध गतिविधियों से एक विशिष्ट पहचान निर्मित की हैं। इस विभाग द्वारा औपनिवेशिक युग से वर्तमान तक भारतीय डायस्पोरा के गठन संचालन की प्रक्रिया का अध्ययन किया जा रहा है। विभाग के अध्ययन एवं शोध गतिविधियों का केंद्र-बिंदु अनुबंध आधारित श्रम व्यवस्था एवं वैश्वीकृत प्रवासन तंत्रों से निर्मित भारतीय डायस्पोरा है।
इस विभाग के उद्देश्य :
- प्रवासन तथा स्वभूमि (होमलैंड): स्मृतियां, वृत्तांत एवं मौखिक इतिहास
- वैश्विक तथा राष्ट्रीय स्तर पर पहचान का संघर्ष एवं भारत में उभरती नृजातीय-चेतना के संदर्भ में भारतीय डायस्पोरा
- मेजबान समाजों (होस्ट सोसाइटी) के सामाजिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक-तकनीकी तथा औद्योगिक विकास में भारतीय डायस्पोरा का योगदान
- डायस्पोरा तथा भारतीय राज्यः संस्थाएँ, अभिकरण एवं नीतियाँ
- भारतीय डायस्पोरा का नृजाति-विवरणात्मक अध्ययन।
- प्रवासन एवं डायस्पोरा में एम.ए., पीएच.डी.
- भारतीय डायस्पोरा में पी.जी डिप्लोमा
शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक सदस्य
ASSISTANT PROFESSOR
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