परिचय
पूज्य गांधी जी के सपनों के अनुरूप सामान्य भारतीय जन के लिए मनोविज्ञान का विकास करने हेतु हम संकल्पित हैं। इस हेतु हम अपने विद्यार्थियों को उच्च-गुणवत्तायुक्त शिक्षण उपलब्ध करवाते हैं। रोजगार की समकालीनअवसरों को ध्यान में रखते हुए,हम अपने विद्यार्थियों में विश्लेषणात्मक क्षमता, सृजनात्मकता, जिज्ञासा, भावनात्मक प्रबंधन, चरित्र और मूल्यों के संवर्धनऔर उच्च प्रभाव युक्त जर्नल में प्रकाशन-कौशल के विकास हेतु आउटरीच प्रोजेक्ट, विभिन्न विषयों से जुड़े हुए विद्वानों से मनोवैज्ञानिक विमर्श,योग,प्राकृतिक परिवेश के प्रति लगाव तथा अनेक अनुभवात्मक गतिविधियों के द्वारा अपने विद्यार्थियों को तत्परता पूर्वक तैयार करते हैं। हमने यह दृढ़ निश्चय किया है कि मनोवैज्ञानिक शोध की दृष्टि से अछूते तबकों जैसे कि किसान, मजदूर, दलित, पीड़ित, वंचित, ग्रामीण जन से जुड़े मनोवैज्ञानिक मुद्दे, भारतीय मनोवैज्ञानिक परंपरा, मूल्य, योग, स्वास्थ्य, से संबन्धित बहुआयामी परंपरागत गत ज्ञान को मुख्यधारा के मनोविज्ञान में समाहित करने के लिए हम अथक प्रयास करेंगे। उपरोक्त विशिष्ट उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, च्वायस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के मानदंडों के अनुसार मनोविज्ञान विभाग में निम्न पाठ्यक्रमों पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गयी है:
1. पी-एच.डी. मनोविज्ञान (120 क्रेडिट) 2. एम.ए. मनोविज्ञान (80 क्रेडिट) 3. डिप्लोमा इन योगा एंड हेल्थ स्टडीज (20 क्रेडिट) 4. डिप्लोमा इन काउंसिलिंग एंड गाइडेन्स (20 क्रेडिट) इसके अतिरिक्त मनोविज्ञान विभाग में अकादमिक गतिविधि को बढ़ाने हेतु निम्न प्रकोष्ठ भी बनाए गए हैं:- विनोबा योग मण्डल : योग के सर्वधर्म समभावी स्वरूप के अध्ययन, शोध एवं प्रचार-प्रसार हेतु
- संवाद मंच : ज्ञान के विभिन्न अनुशासनों से साझापन बढ़ाने हेतु
- परिवेश मंच: आस-पास के परिवेश को प्राकृतिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए
- मनोशाला: मनोवैज्ञानिक परामर्श एवं सेवा उपलब्ध कराने हेतु
- चरित्र निर्माण पाठशाला आउटरीच प्रोजेक्ट: वर्धा के बालकों के मूल्य-विकास हेतु
शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक सदस्य
syllabus
यह पाठ्यक्रम ऐसे सक्षम और योग्य मनोवैज्ञानिकों के निर्माण को समर्पित है जो मनोविज्ञान में ज्ञान की दृष्टि और अनुप्रयोग के श्रेष्ठ मानक स्थापित करे और सामाजिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखें तथा अंतरनुशासनिक दृष्टि से युक्त हों। अतएव, इस पाठ्यक्रम के निम्न मुख्य उद्देश्य बनाए गए हैं:
· मनोविज्ञान के अनुशासन में हो रहे ज्ञान के विस्तार को ध्यान में रखकर सघन सैद्धांतिक दृष्टि का विकास।
· सृजनात्मक व नैतिक दृष्टि का विकास, जिसमें सम्प्रत्यय, शोध की मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों विधियों से ज्ञान का विस्तार हो सके, जिससे अकादमी और समाज के बीच अंतर्सम्बंध स्थापित हो सके।
· व्यक्ति और समाज के स्तर पर मनोविज्ञान के अनुशासन में हो रहे परिवर्तन को समवेशी दृष्टि से आगे बढ़ाना।
- विशिष्ट ज्ञान, अभिवृत्ति और मूल्य का विकास करना।
· ज्ञान प्राप्ति की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराना।
· विद्यार्थियों को विभिन्न सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्यों, अध्ययन पद्धतियों और अनुप्रयोगों से परिचित करना।
· विद्यार्थियोंकी मनोविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में रुचि का विस्तार करना।
अवधि : दो वर्ष (चार सेमेस्टर)
योग्यता: किसी भी अनुशासन अथवा विषय में न्यूनतम 50% (SC/ST/ OBC(नॉन क्रीमी लेयर)/दिव्यांगों के लिए 45%) अंको के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से स्नातक (10+2+3) परीक्षा उत्तीर्ण । संबन्धित अनुशासन के विद्यार्थियों को वरीयता दी जाएगी।
प्रवेश-प्रक्रिया: विभागीय स्तर पर लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार।
एम. ए. मनोविज्ञान (80 क्रेडिट)
प्रथम सेमेस्टर | द्वितीय सेमेस्टर | ||||
कोर्स कोड | विषय | क्रेडिट | कोर्स कोड | विषय | क्रेडिट |
म.वि. 201 | मनोवैज्ञानिक चिंतन का विकास | 4 | म.वि. 207 | संज्ञानात्मक मनोविज्ञान | 4 |
म.वि. 202 | व्यक्तित्व का मनोविज्ञान | 4 | म.वि. 208 | विकासात्मक मनोविज्ञान | 4 |
म.वि. 203 | समाज मनोविज्ञान | 4 | म.वि. 209 | सांख्यिकीय विधियां | 4 |
म.वि. 204 | मनोवैज्ञानिक मापन | 2 | म.वि. 210 | प्रायोगिकी-1 | 2 |
चयनित | चयनित भाषा (विश्वविद्यालय के आधार भाषा पाठ्यक्रम के उपस्थित विकल्पानुसार) | 4 | चयनित | चयनित भाषा | 4 |
अनिवार्य | कंप्यूटर अनुप्रयोग (लीला विभाग) | 2 | अनिवार्य | कंप्यूटर अनुप्रयोग (लीला विभाग) | 2 |
क्रेडिट | 20 |
| क्रेडिट | 20 | |
तृतीय सेमेस्टर | चतुर्थ सेमेस्टर | ||||
कोर्स कोड | विषय | क्रेडिट | कोर्स कोड | विषय | क्रेडिट |
म.वि. 213 | असामान्य मनोविज्ञान | 4 | म.वि. 220 | अधिगम एवं मानवीय योग्यताएँ | 4 |
म.वि. 214 | मनोवैज्ञानिक शोध विधियां | 4 | म.वि. 221 | नैदानिक मनोविज्ञान | 2 |
म.वि. 215 | स्वास्थ्य मनोविज्ञान | 2 | म.वि. 222 | मनोदैहिकी मनोविज्ञान | 2 |
म.वि. 216 | अभिप्रेरणा तथा संवेग | 2 | म.वि. 223 | संगठनात्मक मनोविज्ञान | 2 |
म.वि. 217 | प्रायोगिकी-2 | 2 | म.वि. 224 | लघु शोध प्रबन्ध | 4 |
ऐच्छिक |
| 4 | ऐच्छिक | अन्य विभाग से कोई विषय (खेल मनोविज्ञान) | 4 |
ऐच्छिक | अन्य विभाग से कोई विषय (शैक्षिक मनोविज्ञान) | 2 | ऐच्छिक | अन्य विभाग से कोई विषय (संगीत का मनोविज्ञान) | 2 |
क्रेडिट | 20 |
| क्रेडिट | 20 |
सत्र 2017-19 सेमेस्टरवार विवरण
नोट: मनोविज्ञान विभाग द्वारा 70 प्रतिशत अर्थात 56 क्रेडिट का अध्यापन कार्य किया जाएगा। जबकि 30 प्रतिशत अर्थात 24 क्रेडिट विश्वविद्यालय के अन्य अध्ययन कार्यक्रमों में सहभागिता से अर्जित किया जाएगा।
टिप्पणी
· एम.ए. पाठ्यक्रम कुल 80 क्रेडिट का होगा एवं इसकी अवधि चार सेमेस्टर (दो वर्ष) की होगी।
- प्रत्येक सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा।
· कुल 80 क्रेडिट के विषयपत्रों में से 56 क्रेडिट के विषयपत्र (Courses) मनोविज्ञान विभाग द्वारा पढाए जाएंगे तथा शेष 24 क्रेडिट (अनिवार्य तथा ऐच्छिक) विश्वविद्यालय के अन्य विभागों द्वारा पढाए जाएंगे जिन्हें छात्र अपनी रूचि के अनुसार चुन सकेंगे।
- 4 क्रेडिट का सैद्धांतिक प्रश्न-पत्र 100 अंकों का होगा जिसमें 75 अंक लिखित परीक्षा के लिये होंगे और 25 अंकों का आंतरिक मूल्यांकन होगा जो कक्षा में भागीदारी, सेमीनार, समूह कार्य, समीक्षा आदि पर निर्भर होगा।
· लघु शोध प्रबन्ध कुल 100 अंक का होगा। आन्तरिक मूल्यांकन 25 अंक का एवं सत्रान्त मूल्यांकन 75 अंक का होगा।
- एम.ए. में कराये जाने वाले लघु शोध प्रबन्ध का मूल्यांकन वाह्य निरीक्षक के द्वारा कराया जायेगा।
· प्रत्येक छमाही में 75% उपस्थिति अनिवार्य होगी।
यह पाठ्यक्रम ऐसे सक्षम और योग्य मनोवैज्ञानिकों के निर्माण को समर्पित है जो मनोविज्ञान में ज्ञान की दृष्टि और अनुप्रयोग के श्रेष्ठ मानक स्थापित करे और सामाजिक प्रासंगिकता को ध्यान में रखें तथा अंतरनुशासनिक दृष्टि से युक्त हों। अतएव, इस पाठ्यक्रम के निम्न मुख्य उद्देश्य बनाए गए हैं:
· मनोविज्ञान के अनुशासन में हो रहे ज्ञान के विस्तार को ध्यान में रखकर सघन सैद्धांतिक दृष्टि का विकास।
· सृजनात्मक व नैतिक दृष्टि का विकास, जिसमें सम्प्रत्यय, शोध की मात्रात्मक एवं गुणात्मक दोनों विधियों से ज्ञान का विस्तार हो सके, जिससे अकादमी और समाज के बीच अंतर्सम्बंध स्थापित हो सके।
· व्यक्ति और समाज के स्तर पर मनोविज्ञान के अनुशासन में हो रहे परिवर्तन को समवेशी दृष्टि से आगे बढ़ाना।
· विशिष्ट ज्ञान, अभिवृत्ति और मूल्य का विकास करना।
· ज्ञान प्राप्ति की विभिन्न विधाओं का अभ्यास कराना।
· विद्यार्थियों को विभिन्न सैद्धांतिक परिप्रेक्ष्यों, अध्ययन पद्धतियों और अनुप्रयोगों से परिचित करना।
· विद्यार्थियोंकी मनोविज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में रुचि का विस्तार करना।
अवधि : तीन वर्ष (छ सेमेस्टर)
योग्यता: किसी भी अनुशासन अथवा विषय में न्यूनतम 50% (SC/ST/OBC ( नॉन क्रीमी लेयर)/दिव्यांगों के लिए 45%) अंको के साथ किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से इंटरमीडिएट परीक्षा उत्तीर्ण ।
प्रवेश-प्रक्रिया: विभागीय स्तर पर लिखित परीक्षा एवं साक्षात्कार।
सत्र 2017-1 8
योग और स्वास्थ्य अध्ययन में डिप्लोमा (20 क्रेडिट)
प्रथम सेमेस्टर
क्र | कोड | विषय | क्रेडिट्स | अंक |
1 | DGC001 | योग परिचय एवं स्वास्थ्य परामर्श | 4 | 100 |
2 | DGC002 | योग दर्शन | 4 | 10010025+75=100 |
3 | DGC003 | प्रायोगिकी के अंतर्गत प्रारम्भिक योग-क्रिया | 2 | 50 50 |
कुल | 10 | 250 |
द्वितीय सेमेस्टर
क्र | कोड | विषय | क्रेडिट्स | अंक |
1 | DGC004 | योग का जीव वैज्ञानिक आधार | 4 | 10010025+75=100 |
2 | DGC005 | प्रायोगिकी के अंतर्गत योग क्रिया | 2 | 100 25+75=100 |
3 | DGC006 | परियोजना कार्य/मौखिकी | 4 | 50 50 |
कुल | 10 | 250 |
अवधि : एक वर्ष (दो सेमेस्टर)
योग्यता- किसी भी अनुशासन अथवा विषय में न्यूनतम 50%(SC/ST/ OBC(नॉन क्रीमी लेयर)/दिव्यांगों के लिए 45%) अंको के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से स्नातक परीक्षा उर्तीण।
प्रवेश-प्रक्रिया: विभागीय स्तर पर लिखित एवं साक्षात्कार।
परामर्श और निर्देशनमें डिप्लोमा
( DIPLOMA IN GUIDANCE AND COUNSELLING )
उद्देश्य : इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य परामर्श व निर्देशन की सैध्दांतिक एवं व्यवहारिक आधारभूत जानकारी तथा विभिन्न सांस्कृतिक परिवेशों में निर्देशन तथा परामर्श के कौशल का विकास करना है।
विश्वविद्यालय द्वारा अपनाये जाने वाले च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) के अनुरूप विभागीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम का प्रारूप
प्रथम सेमेस्टर
क्र | कोड | विषय | क्रेडिट्स | अंक |
1 | DGC001 | निर्देशन एवं परामर्श का परिचय | 4 | 100 |
2 | DGC002 | परामर्श: प्रक्रिया एवं तकनीक | 4 | 100 |
3 | DGC00 3 | केस अध्ययन | 2 | 50 |
कुल | 10 | 250 |
द्वितीय सेमेस्टर
क्र | कोड | विषय | क्रेडिट्स | अंक |
1 | DGC004 | शैक्षणिक निर्देशन तथा जीविका परामर्श | 4 | 100 |
2 | DGC005 | परामर्श के विशिष्ट क्षेत्र | 4 | 100 |
3 | DGC006 | क्षेत्र अध्ययनरिपोर्ट | 2 | 50 |
कुल | 10 | 250 |
अवधि : एक वर्ष (दो सेमेस्टर)
योग्यता – किसी भी अनुशासन अथवा विषय में न्यूनतम 50%(SC/ST/OBC( नॉन क्रीमी लेयर)/दिव्यांगों के लिए 45%) अंको के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से स्नातक परीक्षा उर्तीण।