महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा

Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi VishwaVidyalaya,Wardha

(A Central University established by an Act of Parliament in 1997)

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा

Mahatma Gandhi Antarrashtriya Hindi VishwaVidyalaya,Wardha

(A Central University established by an Act of Parliament in 1997)

परिचय

शास्त्रीय भारतीय व पश्चिमी दर्शन, भाषा-दर्शन, संस्कृति-दर्शन, तुलनात्मक दर्शन, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन, तुलनात्मक धर्म, नैतिकता तथा तर्कशास्त्र की विभिन्न शाखाओं पर अभिकेंद्रित है। दर्शनशास्त्र आलोचनात्मक दृष्टि एवं विचार की एक व्यापक प्रक्रिया है, इसमें निरीक्षण और परीक्षण की अधिमान्यता, मान्यताओं का पुनर्मूल्यांकन तथा दार्शनिक प्रणालियों का तर्कणापूर्ण व्यवस्थितिकरण करना शामिल है। दर्शनशास्त्र, एक तर्कसंगत बौद्धिक सम्पदा का दस्तावेज़ होने के नाते, हमारी वैचारिकी को तीक्ष्ण करता है, हमारी समझ को समृद्ध करता है तथा हमारे बौद्धिक क्षितिज का विस्तार करता है। दर्शनशास्त्र का अनुशासन वर्तमान शिक्षा में अपरिहार्य है, इसका अनुप्रयोज्य प्रभाव जीवन के सभी क्षेत्रों में स्पष्ट है, यथा-राष्ट्रीय नीतिगत निर्णय, प्रबंधन, मीडिया, कानून, पारिस्थितिकी, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, संस्कृति आदि परम्परा से जो विरासत हमें प्राप्य है तथा हमारे जीवन को प्रभावित करती है; इनमें से कोई भी महत्त्वपूर्ण समाधान दार्शनिक नींव के बिना संभव नहीं हो सकता है। विभाग का मुख्य उद्देश्य दार्शनिक चर्चा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच के रूप में कार्य करने के लिए विद्वानों के बीच सुसंगत विमर्श विकसित करना है। विभाग दार्शनिक और सांस्कृतिक अध्ययन के क्षेत्र में बहुआयामी होने की आकांक्षा रखता है। विभाग का उद्देश्य शास्त्रीय भारतीय दार्शनिक ग्रंथों के गहन अध्ययन और उनकी पुनर्व्याख्या का है, जिससे दार्शनिक वैचारिकी को एक नई प्रेरणा और दिशा मिल सके। दर्शन और संस्कृति विभाग, विश्वविद्यालय के नवोदित विभागों में से एक है। युवा मेधा में दार्शनिक समझ के साथ विभाग अनुसंधान (शोध) और स्नातकोत्तर में शिक्षण का कार्यक्रम प्रदान करता है। विभाग ऐसे सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें विद्यार्थी व शोधार्थी दर्शन एवं संस्कृति के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक समझ के साथ विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकें। इस कार्यक्रम के उद्देश्य हैं-शैक्षिक तथा गैर-शैक्षणिक संस्थानों, अनुसंधान एवं विकास संगठनों के आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अत्यधिक विश्लेषणात्मक और व्यापक दृष्टिकोण का विकास, विभिन्न सांस्कृतिक परिवेश में विकसित दर्शन के बुनियादी सिद्धांतों की सांगोपांगी समझ, विशेषज्ञता के क्षेत्र का गंभीर ज्ञान, दार्शनिक विचारों के विकास की सामान्य जागरूकता, अनवरत सीखने तथा बहुविषयी-अन्तर्संबन्ध विकसन के साथ गुणवत्तापूर्ण तथा व्यवसायोन्मुख शैक्षिक वातावरण की निर्मिति हेतु संकल्पित है।

शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक सदस्य

ASSOCIATE PROFESSOR

डॉ. जयंत उपाध्याय 

drjayantupadhyay@gmail.com

ASSISTANT PROFESSOR

पाठ्यक्रम

परीक्षा परिणाम :

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