परिचय
दृष्टि :
हिंदी को भारतीय एवं वैश्विक परिवेश में अनुवाद के माध्यम से सम्पन्न बनाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय अस्मिता की पहचान की भाषा बनाना।उद्देश्य :
- छात्र-छात्राओं को अनुवाद के क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करके उन्हें कुशल अनुवादक के रूप में स्थापित होने में सहयोग प्रदान करना।
- अनुवाद के माध्यम से संस्कृतियों के बीच आपसी समझ का विस्तार करना और अंतरराष्ट्रीय बंधुत्व की भावना को बल देना।
- अनुवाद विज्ञान को अंतर अनुशासनिक ज्ञान के रूप में विकसित करते हुए इसे आधुनिक प्रौद्योगिकी से जोड़ना और हिंदी में यंत्रानुवाद प्रक्रिया का विकास करना।
- निर्वचन को एक स्वतंत्र अध्ययन क्षेत्र के रूप में विकसित करना।
- अनुवाद अध्ययन को भाषा-शिक्षण के प्रमुख उपकरण के रूप में विकसित करना।
- अंतर प्रतीकात्मक अनुवाद प्रविधि को कम्प्यूटर, सिनेमा, दूरदर्शन, आकाशवाणी आदि के संदर्भ में विकसित करना।
- अनुवाद को वर्तमान सांस्कृतिक एवं सामाजिक तथा प्रयोगपरक प्रविधियों से जोडते हुए उसके व्यावहारिक पक्ष का विकास करना।
- भारतीय एवं अन्य देशों के श्रेष्ठ साहित्य का हिंदी में अनुवाद करना तथा अनूदित कृतियों की समीक्षा, परीक्षण एवं मूल्यांकन कर अनुवाद की गुणवत्ता में वृद्धि करना।
- आशु अनुवादकों को प्रशिक्षित करना तथा उनके कौशल के विकास के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण, कार्यशाला एवं पुनश्चर्या कार्यक्रम आयोजित करना।
- अनुवाद के क्षेत्र में काम आने वाले कोशों का निर्माण करना।
- अनुवाद प्रौद्योगिकी और मशीनी अनुवाद के क्षेत्र में शोधपरक कार्य करना।
- अनुवाद-अनुशासन के माध्यम से रोज़गार की संभावनाएँ तलाशना।
सुविधाएँ :
अनुवाद प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला :
अनुवाद प्रौद्योगिकी संबंधी अध्ययन , शोध और अभ्यास में निरंतरता बनाए रखने तथा तकनीकी कौशल के विकास को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय द्वारा विभाग को एक अनुवाद प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला प्रदान की गई है। इसमें एक ही समय पैंतीस व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। मशीनी अनुवाद की बहुविध सुविधाएँ और कार्यक्रम प्रयोगशाला में उपलब्ध हैं।
विभागीय पुस्तकालय :
अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग के विभागीय पुस्तकालय में अनुवाद विज्ञान, भाषा विज्ञान, हिंदी भाषा, व्याकरण, हिंदी साहित्य आदि की लगभग तीन हज़ार पुस्तकें उपलब्ध हैं। यहाँ पुस्तकालय प्रबंधन नामक साफ्टवेअर का उपयोग किया जा रहा है। विभागीय पुस्तकालय से पी-एच.डी. शोधार्थियों को 5, एम.फिल. शोधार्थियों को 4, एम.ए. के छात्रों को 3 तथा डिप्लोमा के छात्रों को 2 किताबें 10 दिन के लिए निर्गत की जाती हैं। पुस्तकालय में स्वतंत्र रूप से एक अध्ययन-कक्ष की सुविधा उपलब्ध है। पुस्तकालय में छात्रों के लिए Open Access System लागू है, जिससे विद्यार्थी/शोधार्थी स्वयं किताबें खोज सकते हैं। इससे शोधार्थियों को उनके विषय से संबंधित अन्य किताबें भी देखने को मिलती हैं, जिससे शोध कार्य आसान हो जाता है। विश्वविद्यालय के अन्य विभागों के छात्र तथा प्राध्यापक भी पुस्तकालय उपयोग कर सकते हैं। छात्रों के लिए OPAC (Online Public Access Catalogue System) का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। विभागीय पुस्तकालय में छात्रों को Current Awareness Service के अंतर्गत समाचार पत्र (हिंदी, मराठी तथा अंग्रेजी) एवं अनुवाद से संबंधित पत्रिकाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं। इसी के साथ शोधार्थियों के लिए स्वतंत्र अध्ययन कोने (Study Booth) उपलब्ध हैं|
विभागीय ब्लॉग :
विभाग द्वारा ‘निर्वचन’ शीर्षक से एक ब्लॉग तैयार किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य पाठकों को अनुवाद प्रौद्योगिकी संबंधी आवश्यक जानकारी, विभाग द्वारा संचालित पाठ्यक्रमों के विषय में विस्तृत सूचना, संगोष्ठियों / शिविरों की जानकारी, आयोजन संबंधी समाचार, अनुवाद-कार्य संबंधी मूल्यांकनपरक सामग्री तथा विभिन्न भाषाओं से हिंदी में अनूदित रचनाएँ उपलब्ध कराना है|
ब्लॉग का url है : www.nirvachan.blogspot.in
विभाग की वर्त्तमान विशेष योजनाएँ :
1. एकीकृत अनुवादक सूची : महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा अपने स्थापना-काल से ही हिंदी को एक समर्थ ज्ञान-भाषा बनाने की दिशा में प्रयास कर रहा है। इस हेतु विश्वविद्यालय में प्रारंभ में ही अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग स्थापित कर दिया गया था। यह विभाग अनुवाद की नवीन तकनीकें खोजने का कार्य भी कर रहा है और अनुवाद को दुनिया भर की भाषाओं के मध्य संपर्क-सेतु बनाने का भी। नवीन विश्व परिदृश्य में अनुवाद की महत्ता दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इसी के साथ विश्व भर के उन अनुवादकों को आपस में जोड़ने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है, जो अपनी मातृ-भाषा अथवा अन्य भाषाओं से हिंदी में और हिंदी से अन्य भाषाओं में अनुवाद कार्य कर रहे हैं। इसी आवश्यकता की पूर्ति के लिए अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग ने ‘एकीकृत अनुवादक सूची’ तैयार करने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। इस सूची में पंजीकृत अनुवादकों को समय-समय पर अनुवाद कार्यशालाओं में आमंत्रित किया जाएगा, अनुवाद प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होने वाले शोध से परिचित कराया जाएगा, अनुवाद की नई तकनीक सुलभ बनाने के प्रयास किए जाएँगे तथा उन्हें मशीनी अनुवाद के महत्व से परिचित कराया जाएगा। इससे अनुवाद-कार्य के व्यावसायिक उपयोग की संभावनाएँ बढ़ेंगी।
2. अनुवाद विश्वकोश : यह हिंदी में ऐसा पहला कोश होगा जिसमें अनुवाद (अनुवाद प्रौद्योगिकी (अनुवाद की पारिभाषिक शब्दावली( अनुवाद-प्रक्रिया (अनुवाद हेतु प्रयोग में आने वाले प्रमुख साधन (अनुवाद व्याकरण आदि विविध पक्षों की वैज्ञानिक जानकारी एक स्थान पर उपलब्ध होगी।
3. ग्रंथ-निर्माण : इस योजना का लक्ष्य अनुवाद अनुवाद प्रौद्योगिकी और कार्यालयीन भाषा के बारे में हिंदी में शोध एवं संदर्भ ग्रंथों का निर्माण करना है।
भावी योजना :
ज्ञान सर्जन केंद्र : यह एक ऐसा केंद्र होगा जिसकी स्थापना होने पर विज्ञान, समाज विज्ञान एवं मानविकी विषयों से जुडी शोध एवं संदर्भ सामग्री, विशेष रूप से अंग्रेजी व सामान्य रूप से अन्य भाषाओं से अनुवाद के माध्यम से हिंदी में आ सकेगी। अभी तक इस प्रकार की सामग्री मुख्यत: अंग्रेजी भाषा में है, जिस कारण हिंदी माध्यम से शोध एवं कक्षा अध्यापन में अनेक कठिनाइयाँ आती हैं। प्रस्तावित केंद्र इस समस्या के हल की दिशा में ठोस प्रयास करेगा।
विभाग का विशेष आयोजन :
अनुवाद शोध मंच स्थापना का उद्देश्य : अनुवाद प्रौद्योगिकी विभाग के शोधार्थियों द्वारा अनुवाद शोध मंच की स्थापना की गई। इस मंच का उद्देश्य अनुवाद के शोधार्थियों को शोध के अधुनातन क्षेत्रों की जानकारी प्रदान करना तथा अनुवाद एवं निर्वचन के व्यावहारिक पक्ष को मजबूत करने की दृष्टि से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करना है। अनुवाद शोध मंच द्वारा अपने स्वतंत्र ब्लॉग का निर्माण किया गया है।
जिसका पता anuvadvishwa.blogspot.com है। अनुवाद शोध जर्नल के लिए http://translationresearchjournal.blogspot.in के नाम से एक और ब्लॉग का भी निर्माण किया गया है, जिस पर शोधार्थी अपने शोध आलेख प्रकाशित कर सकते है।ईमेल :- translation.tech2014@gmail.com
संपर्क :- 07152-232984
शैक्षणिक/गैर शैक्षणिक सदस्य
ASSISTANT PROFESSOR
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